*०६ फेब्रुवारी १९५९*


*जॅक किल्बीने इंटिग्रेटेड सर्किटसाठी पहिला पेटंट घेतला*


सन् १९४७ में ट्रांजिस्टर के आविष्कार के बाद एकीपरि (एकीकृत परिपथ) के विकास का रास्ता साफ हो गया था। सन् १९५८-५९ में दो व्यक्तियों ने लगभग एक ही तरह की आई सी लगभग एक ही समय विकसित की। वे अलग-अलग काम कर रहे थे और एक-दूसरे के काम से अनभिज्ञ थे। ये व्यक्ति थे - टेक्सास इंस्ट्रूमेन्ट्स में कार्यरत जॅक किल्बी (Jack Kilby) और फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर कारपोरेशन के सह-संस्थापक रॉबर्ट नॉयस (Robert Noyce)। 


दोनो ही विद्युत इंजीनियर थे और दोनो ही इस बात का हल निकालने में जुटे थे कि अनेकानेक संख्याओं वाले परिपथों को कैसे विश्वसनीय रूप से निर्मित किया जाय और उनका आकार कैसे छोटा किया जाय। आज हम कह सकते हैं कि यदि ट्रांसिस्टर का आविष्कार न होता तो एकीपरि न होता; और एकीपरि न होता तो कम्प्यूटर और अन्य एलेक्ट्रॉनिक उपकरण न होते जिनका परिपथ करोड़ों-


अरबों अवयवों से बना होता है।


एलेक्ट्रॉनिकी में एकीकृत परिपथ या एकीपरि (इन्टीग्रेटेड सर्किट - IC) को सूक्ष्मपरिपथ (माइक्रोसर्किट), सूक्ष्मचिप, सिलिकॉन चिप, या केवल चिप के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अर्धचालक पदार्थ के अन्दर बना हुआ एलेक्ट्रॉनिक परिपथ ही होता है जिसमें प्रतिरोध, संधारित्र आदि पैसिव कम्पोनेन्ट (निष्क्रिय घटक) के अलावा डायोड, ट्रान्जिस्टर आदि अर्धचालक अवयव निर्मित किये जाते हैं। 


जिस प्रकार सामान्य परिपथ का निर्माण अलग-अलग (डिस्क्रीट) अवयव जोड़कर किया जाता है, आईसी का निर्माण वैसे न करके एक अर्धचालक के भीतर सभी अवयव एक साथ ही एक विशिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्मित कर दिये जाते हैं। 


एकीकृत परिपथ आजकल जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग में लाये जा रहे हैं। इनके कारण एलेक्ट्रानिक उपकरणों का आकार अत्यन्त छोटा हो गया है, उनकी कार्य क्षमता बहुत अधिक हो गयी है एवं उनकी शक्ति की जरूरत बहुत कम हो गयी है।


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26 January 2023